नेताजी का चश्मा Sahitya Sagar Workbook Answers- ICSE Class 9 and 10

नेताजी का चश्मा (Netaji Ka Chashma)

अभ्यास-माला

अवतरण 1.

“इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी।”

(i) हालदार साहब को कब-कब किस कस्बे से होकर गुज़रना पड़ता था तथा क्यों?

उत्तर. हालदार साहब को हर 15 दिन में कंपनी के काम के सिलसिले में कस्बे से होकर गुजरना पड़ता था, कस्बा ज्यादा बड़ा न था।

(ii) नगर पालिका ने इस कस्बे में क्या विशेष कार्य करवाया था तथा किस प्रकार?

उत्तर. नगर पालिका ने इस कस्बे में सड़कों का निर्माण करवाया था तथा चबूतरे, पेशाबघर एवं नेताजी की संगमरमर की प्रतिमा आदि विशेष कार्य किए थे।

(iii) कस्बे की नगरपालिका क्या-क्या करती थी?

उत्तर. कस्बे की नगरपालिका लोगों के हित के लिए कार्य करती थी।

(iv) प्रतिमा किसने बनवाई थी तथा क्यों? उसकी क्या विशेषता थी?

उत्तर. प्रतिमा कस्बे की नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने बनवाई थी। उस प्रतिमा की यह विशेषता थी कि वह नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जी की थी एवं वह संगमरमर से बनी हुई थी।

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अवतरण 2.

“हालदार साहब का कौतुक और बढ़ा। वाह भाई क्या आईडिया है! मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है।”

(i) मूर्ति को देखते ही क्या याद आने लगता था तथा था क्या बात खटकती थी?

उत्तर. मूर्ति को देखते ही दिल्ली चलो, तुम मुझे खून दो, यह सब याद आने लगता था। मूर्ति में संगमरमर के चश्मे की जगह काला फ्रेम वाला सचमुच का चश्मा देखते ही कुछ अजीब सा लगता था।

(ii) हालदार साहब जब पहली बार कस्बे के चौराहे पर रुके तो उन्होंने क्या देखा तथा देखकर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर. हालदार साहब जब पहली बार कस्बे के चौराहे पर रुके थे, तो उन्होंने नेताजी की प्रतिमा को देखा था। प्रतिमा को देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा था।

(iii) दूसरी बार हालदार साहब जब उस कस्बे से गुज़रे तो उन्होंने मूर्ति में क्या अंतर देखा और क्या सोचने पर मजबूर हो गए?

उत्तर. दूसरी बार हालदार साहब जब उस कस्बे से गुज़रे तो उन्होंने मूर्ति में नेताजी का चश्मा अलग देखा। वह सोचने लगे कि वह क्या आईडिया है! मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है।

(iv) हालदार साहब की विशेषताएंँ बताते हुए स्पष्ट कीजिए कि बार-बार चौराहे पर रुक कर मूर्ति को देखना उनकी किस विशेषता का परिचायक है?

उत्तर. हालदार साहब जिज्ञासु ‌‌‌‌‌ प्रवृत्ति है बार-बार चश्मा बदलने पर उनके मन में यह जाने की जिज्ञासा पैदा होती है कि कौन नेताजी का चश्मा बदलता रहता है। बार-बार मूर्ति के सामने रुकना हालदार साहब के बारे में बताता है कि वह एक सच्चे देश प्रेमी है।

अवतरण 3.

” पानवाले के खुद के मुंँह में पान ठूँसा हुआ था। वह एक काला मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आंँखों ही आंँखों में हंँसा उसकी तोंद थिरकी। “

(i) हालदार साहब के पानवाले से क्या पूछा?

उत्तर. हालदार साहब ने पानवाले से पूछा कि नेता जी की मूर्ति के चश्मे कौन बदलता रहता है।

(ii) पानवाले की विशेषताओं का वर्णन कीजिए?

उत्तर. पानवाला काला, मोटा एवं खुशमिजाज आदमी था।

(iii) पानवाले ने हालदार साहब की बात का क्या जवाब दिया तथा किस प्रकार?

उत्तर. पानवाले ने हालदार साहब की बात सुनकर कहा कि कैप्टन चश्मे बदलता है जब भी कोई उससे नेता जी जैसा फ्रेम वाला चश्मा मांँगता है, वह नेता जी की मूर्ति से चश्मा निकालकर अपने ग्राहक को दे देता है और नेता जी की मूर्ति में दूसरा चश्मा लगा देता है।

(iv) मूर्ति किसने बनाई थी तथा उन्होंने चश्मा क्यों नहीं बनाया तथा चश्मा उस मूर्ति पर कौन लगाता था?

उत्तर. मूर्ति कस्बे की ड्राइंग मास्टर मोतीलाल ने बनाई थी। मूर्ति बनाने के बाद शायद वह यह तय नहीं कर पाया होगा कि पत्थर से पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए। कैप्टन चश्मे वाला नेताजी के चश्मे लगाता था।

अवतरण 4.

“उसने हालदार साहब को ध्यान से देखा, फिर अपनी लाल काली बत्तीसी दिखाई और मुस्कुराकर बोला,” नहीं साब। वह लंगड़ा किया जाएगा फौज में पागल है पागल वह देखो वह आ रहा है।”

(i) हालदार साहब ने कैप्टन के विषय में पानवाले से क्या पूछा?

उत्तर. हालदार साहब ने कैप्टन के विषय में पानवाले से पूछा कि क्या कैप्टन नेताजी का साथ ही था, या फिर आजाद हिंद फौज का सिपाही।

(ii) हालदार साहब को पानवाले की क्या बात अच्छी नहीं लगी और क्यों?

उत्तर. हालदार साहब को पानवाले द्वारा कैप्टन का मजाक उड़ाना अच्छा नहीं लगा, क्योंकि कैप्टन एक सच्चा देशभक्त था और देशभक्त की मजाक हालदार साहब को अच्छा नहीं लगता।

(iii) कैप्टन साहब का परिचय दीजिए?

उत्तर. कैप्टन एक सच्चा देशभक्त था। देशभक्ति उसकी रगों में दौड़ रही थी।

(iv) कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए?

उत्तर. प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखक पाठकों के अंदर देशभक्ति की भावना जागृत करना चाहते हैं।

अवतरण 5.

“फिर एक बार ऐसा हुआ कि मूर्ति के चेहरे पर कोई भी कैसा भी चश्मा नहीं था। उस दिन पान की दुकान भी बंद थी। चौराहे की अधिकांश दुकानें बंद थी।”

(i) हालदार साहब कितने समय तक कस्बे से गुजरती रहे और क्या देखते रहे?

उत्तर. हालदार साहब 2 साल तक उस कस्बे से गुजरती है और नेताजी की प्रतिमा को देखते रहे।

(ii) मूर्ति की आंँखों पर चश्मा ना होने पर हालदार साहब ने पानवाले से क्या पूछा तथा पानवाले ने हालदार साहब को क्या बताया?

उत्तर. हालदार साहब ने पूछा कि यह तुम्हारे नेता जी को क्या हो गया, उन्होंने चश्मा नहीं लगाया, जिसे सुनकर पान वाले ने उत्तर दिया कि कैप्टन की मृत्यु हो गई।

(iii) कैप्टन के विषय में हालदार साहब के पूछने पर पानवाले ने साफ़-साफ़ क्या कहा?

उत्तर. कैप्टन के विषय में हालदार साहब के पूछने पर पानवाले ने साफ़-साफ़ कहा कि अब वे इस बारे में बात नहीं करना चाहता है।

(iv) चश्मे वाले को उस कस्बे के लोग क्या कहते थे तथा क्यों?

उत्तर. चश्मे वाले को उस कस्बे के लोग कैप्टन कहते थे क्योंकि कैप्टन नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी जैसा सच्चा देशभक्त था। उसे नेताजी के बगैर चश्मे वाली मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी।

अवतरण 6.

“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-जिंदगी सब कुछ होय कर देने वालों पर भी हंँसती है और अपने लिए बिकने की मौके ढूंँढती है।”

(i) हालदार साहब ने मूर्ति पर क्या देखा तथा पान वाले से क्या पूछा?

उत्तर. हालदार साहब ने मूर्ति में चश्मा नहीं देखा था तो उन्होंने पानवाले से पूछा कि आज तुम्हारे नेता जी को क्या हो गया।

(ii) हालदार साहब को किसने क्या सूचना दी थी तथा सुनकर हालदार साहब ने क्या किया?

उत्तर. हालदार साहब को कैप्टन की मृत्यु की सूचना पानवाले ने दी। इसे सुनकर हालदार साहब भावुक हो उठे और अपनी जीप पर बैठ गए।

(iii) हालदार साहब बार-बार क्या सोच रहे थे तथा क्यों?

उत्तर. हालदार साहब बार-बार यह सोच रहे थे कि अब क्या होगा इस देश का।

(iv) हालदार साहब कस्बे से कितने समय बाद गुज़रे तथा उनके मन में क्या ख्या़ल आया?

उत्तर. हालदार साहब 15 दिन बाद तो उस कस्बे से गुजरे तथा उनके मन में ख्या़ल आया कि आज वह मूर्ति की तरफ नहीं देखेंगे, न ही पानवाले की दुकान में पान खाएंँगे।

अवतरण 7.

“मूर्ति की आंँखों पर सरकंडे से बना छोटा सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आंँखें भर आई।”

(i) हालदार साहब ने मूर्ति वाले चौराहे पर रुकने के विषय में क्या सोचा तथा ड्राइवर से क्या कहा?

उत्तर. हालदार साहब को जब पता चला कि कैप्टन मर गया है तो उन्हें लगा कि अब उस कस्बे में ऐसा कोई व्यक्ति बचा नहीं है जो नेता जी की प्रतिमा में चश्मा लगा सके। इस कारण से उन्होंने ड्राइवर से वहांँ रुकने को मना कर दिया।

(ii) एकाएक हालदार साहब ने ड्राइवर से क्या कहा तथा क्यों?

उत्तर. एकाएक हालदार साहब ने ड्राइवर से रुकने के लिए कहा क्योंकि उन्होंने नेता जी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा।

(iii) हालदार साहब ने मूर्ति के सामने जाकर क्या किया तथा वह भावुक क्यों हो गए?

उत्तर. हालदार साहब ने नेताजी की प्रतिमा के सामने जाकर अटेंशन किया, तथा वह भावुक हो गए क्योंकि उचित साधन ना होते हुए भी बच्चों ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया है, जो कि देश भक्ति दिखाता है।

(iv) कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है? समझा कर लिखिए।

उत्तर. कहानी से हमें अपने देश के प्रति ईमानदार, कर्तव्य बोध एवं देशभक्ति की सीख मिलती है।

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