महायज्ञ का पुरस्कार (Mahayagya Ka Puraskar)
अभ्यास – माला
अवतरण 1.
“भंडार के द्वार सबके लिए खुला था। जो हाथ पसारे, वही पाए।सेठ ने बहुत से यज्ञ किए थे और दान में न न जाने कितना धन दीन – दुखियों में बांट दिया था।”
(i) लेखक ने धनी सेठ की किन – किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
उत्तर. लेखक ने धनी सेठ के बारे में बताया है कि वह एक परोपकारी एवं धर्म परायण वाले व्यक्ति थे।
(ii) उन दिनों क्या प्रथा थी तथा इस विषय में सेठानी द्वारा सेठ जी को क्या सलाह दी गई?
उत्तर. उन दिनों यज्ञ खरीदने एवं बेचने की प्रथा थी। सेठानी जी ने सेठ जी को उनका यज्ञ बेचने की सलाह दी।
(iii) सेठ को यज्ञ बेचने की आवश्यकता क्यों पड़ी? वह यज्ञ बेचने किसके पास गया?
उत्तर. सेठ के पास धन न होने के कारण सेठ को यज्ञ बेचने की आवश्यकता पड़ी। वह यज्ञ बेचने कुंदनपुर के धन्ना सेठ के पास गए।
(iv) धन्ना सेठ की सेठानी के विषय में क्या अफवाहें फैली थी?
उत्तर. धन्ना सेठ की सेठानी को दैवी शक्तियां प्राप्त थी, जिससे वे तीनों लोगों की बात जान लेती थी, ऐसी अफवाहें फैली थी।
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अवतरण 2.
“पोटली से लोटा निकाल कर पानी खींचा और हाथ – पैर धोए। उसके बाद एक लोटा पानी लेकर एक पेड़ के नीचे आ बैठे और खाने के लिए रोटी निकालकर तोड़ने ही वाले थे कि क्या देखते हैं – निकट ही, कोई हाथ भर की दूरी पर, एक कुत्ता पड़ा छटपटा आ रहा है।”
(i) सेठानी ने रास्ते के लिए सेठ जी के लिए क्या तैयारी की और किस तरह से? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर.सेठानी ने रास्ते के लिए पड़ोसी से थोड़ा-सा आटा मांग लाए और चार मोटी-मोटी रोटियांँ बना कर पोटली में बांधकर सेठ जी को दे दी।
(ii) रास्ते में सेठ जी ने क्या सोचा तथा उन्हें क्या परेशानी आई?
उत्तर. रास्ते में सेठ ने भोजन तथा विश्राम करने के लिए सोचा किंतु थोड़ी देर बाद ही उन्होंने एक कुत्ते को मरणासन्न स्थिति में देखा।
(iii) सेठ जी ने कहांँ पर क्या-क्या देख कर भोजन करने का विचार किया तथा भोजन करने के लिए क्या तैयारी की?
उत्तर. सेठ जी ने रास्ते में वृक्ष का एक कुंज और कुआंँ को देकर भोजन करने का विचार किया। भोजन करने के लिए उन्होंने कुएंँ से पानी निकालकर हाथ पैर धुँलने की तैयारी की।
(iv) जब सेठ जी भोजन ग्रहण करने वाले ही थे तो उन्होंने किसे, किस हाल में देखा?
उत्तर. जब सेठ जी भोजन ग्रहण करने वाले ही थे, तो उन्होंने एक कुत्ते को मरणासन्न हाल में देखा।
अवतरण 3.
” सेठ ने अधिक सोच-विचार नहीं किया और वह अंतिम रोटी भी कुत्ते को खिला दी। स्वयं एक लोटा जल पीकर तथा थोड़ा विश्राम करके अपना रास्ता पकड़ा।”
(i) भूखे कुत्ते को देखकर सेठ जी की क्या स्थिति हुई और उन्होंने क्या सोचा?
उत्तर. भूखे कुत्ते को देखकर सेठ जी द्रवित हो उठे और उसे रोटी खिलाने का विचार किया।
(ii) कुत्ते की बुरी हालत देखकर सेठ ने क्या किया?
उत्तर. कुत्ते की बुरी हालत देखकर सेठ ने उसे एक- एक करके अपनी सारी रोटी खिला दी।
(iii) सेठ में क्या-क्या सोच कर अपना सारा खाना कुत्ते को खिला दिया? समझाकर लिखिए?
उत्तर. सेठ नहीं सोचा कि वह तो पानी पीकर भी पेट भर लेगा परंतु वह बेचारा भूखा और बेबस जीव अपना पेट कैसे भरेगा। इसलिए सेठ जी ने कुत्ते को अपनी सारी रोटी खिला दी।
(iv) कुत्ते को खाना खिलाने के बाद सेठ ने क्या किया तथा फिर कहांँ गए?
उत्तर. कुत्ते को खाना खिलाने के बाद सेठ ने एक लोटा जल पी लिया तथा थोड़ा विश्राम करके कुंदनपुर के लिए चले गए।
अवतरण 4.
“सेठ बड़े आश्चर्य में पड़े-महायज्ञ! और आज वे समझे कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। विनम्र भाव से बोले, आप आज की कहती हैं, मैंने तो बरसों से कोई यज्ञ नहीं किया।”
(i) धनी सेठ धन्ना सेठ के घर कब पहुंँचे तथा उन्होंने क्या कहा?
उत्तर. धनी सेठ धन्ना सेठ के घर अंँधेरा होने से पहले पहुंँचे तथा उन्होंने सेठ को यज्ञ बेचने की बात की।
(ii) धन्ना सेठ की पत्नी ने सेठ से क्या कहा?
उत्तर. धन्ना सेठ की पत्नी ने सेठ से कहा कि हम आपका यह कि लेने को तैयार हैं, परंतु हमें आपका आज का महायज्ञ चाहिए।
(iii) धन्ना सेठ की पत्नी की बात सुनकर सेठ ने क्या सोचा तथा उन्होंने धन्ना सेठ की पत्नी से क्या कहा?
उत्तर.धन्ना सेठ की पत्नी की बात सुनकर सेठ ने सोचा कि मैंने बहुत सालों से कोई यज्ञ ही नहीं किया है। तथा उन्होंने धन्ना सेठ की पत्नी से कहा कि मैंने बरसों से कोई यज्ञ ही नहीं किया है आप कौन से यज्ञ के बारे में कह रही है मुझे नहीं ज्ञात।
(iv) महायज्ञ क्या था? तथा धन्ना सेठ की पत्नी को इस विषय में कैसे पता चला?
उत्तर. गरीबों की मदद करना, परोपकार करना, भूखे को खाना देना आदि महायज्ञ है। तथा धन्ना सेठ की पत्नी को इस विषय में अपनी दैवी शक्ति से पता चला था।
अवतरण 5.
“यज्ञ कमाने की इच्छा से धन दौलत लुटाकर किया गया यज्ञ, सच्चा यज्ञ नहीं है निःस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा महायज्ञ है। क्या आप इसे बेचने के लिए तैयार हैं।”
(i) धन्ना सेठ की पत्नी की मुख से अपने महायज्ञ बेचने की बात सुनकर सेठ क्या सोचने लगे?
उत्तर. धन्ना सेठ की पत्नी की बात सुनकर सेट सोचने लगे कि भूखे को अन्न देना मानवता होती है। मैंने वह कार्य इंसानियत के नाते किया था, मैं इसे अपने फायदे के लिए नहीं दे सकता।
(ii) सेठ ने धन्ना सेठ की पत्नी से खिन्न होकर क्या कहा?
उत्तर. सेठ ने धन्ना सेठ की पत्नी से खिन्न होकर कहा कि आपको यज्ञ नहीं खरीदना है, इसलिए ऐसी बात कर रही हैं।
(iii) सेठ के खिन्न होने पर धन्ना सेठ की पत्नी ने उन्हें क्या समझाया?
उत्तर. सेठ के खिन्न होने पर धन्ना सेठ की पत्नी ने उसे समझाया यहांँ आते समय जब आपने अपने रास्ते में एक भूखे कुत्ते को अपनी रोटियांँ खिला दी थी, वही महायज्ञ के बारे में मैं बात कर रही हूंँ।
(iv) सेठानी के समझाने पर सेठ ने क्या सोचा तथा क्या किया?
उत्तर. सेठानी की समझाने पर सेठ ने सोचा कि एक भूखे कुत्ते को खाना खिलाना यह कोई महायज्ञ नहीं है यह तो मेरा कर्तव्य है और वहांँ से निकल पड़े।
अवतरण 6.
“गिरते-गिरते बची, संभालकर आले तक पहुंँची और दिया जलाकर नीचे की ओर निगाह डाली तो देखा की दहलीज़ के सहारे एक पत्थर ऊंचा हो गया है। जिसके बीचों-बीच एक लोहे का कुंदा लगा है। इसी कुंडे से उन्होंने ठोकर खाई थी। “
(i) सेठानी को यज्ञ न बेचकर उन्होंने रात कहांँ बिताई तथा घर के लिए कब चले और घर कब पहुंँचे?
उत्तर. सेठानी को यज्ञ न बेचकर उन्होंने रात धर्मशाला में गुजारी तथा घर के लिए वह सुबह चले और शाम तक घर पहुंँचे।
(ii) पति को खाली हाथ देखकर सेठानी को क्या हुआ तथा उसने सेठ से क्या पूछा?
उत्तर. पति को खाली हाथ देखकर सेठानी समझ गई कि सेठ जी का कोई यज्ञ नहीं बिका है तथा उन्होंने सेठ से सारी बात पूछी।
(iii) सेठ से सारी बात सुनकर सेठानी की क्या स्थिति हुई और उसने सेठ से क्या कहा?
उत्तर. सेठ से सारी बात सुनकर सेठानी ने सोचा कि उनकी स्थिति इतनी खराब है किंतु सेठ जी अभी भी धर्म से पीछे नहीं हटे।
(iv) रात के समय सेठानी क्या करने जा रही थी तथा उसे क्या हुआ और उसने क्या देखा?
उत्तर. रात के समय सेठानी दालान में दिया जलाने आई तो रास्ते में किसी चीज से टकराकर गिरते-गिरते बची।
अवतरण 7.
“सेठ भी अचरज में पड़ गए। दिये की टिमटिमाती रोशनी में उन्होंने ध्यानपूर्वक देखा तो पता चला कि वह तो किसी चीज का ढकना है। आखिर यह माजरा क्या है? सेठ ने कुंदे को पकड़कर खींचा तो पत्थर उठ आया।”
(i) सेठानी के भौंचक्की होने का क्या कारण था उसने सेठ से क्या कहा?
उत्तर. रात के समय सेठानी दालान में दिया जलाने आई तो रास्ते में किसी चीज से टकराकर गिरते-गिरते बची। संभलकर आले तक पहुंँची और दियांँ जलाकर नीचे की ओर देखा तो पाया कि दहलीज के सारे एक पत्थर ऊंँचा उठ आया है जिसके बीचों-बीच एक कुंँदा लगा है। यह सब देखकर सेठानी भौंचक्की हो गई।
(ii) सेठ आश्चर्य में क्यों पड़ गए? उन्हें क्या दिखाई दिया?
उत्तर. सेठ लोहे का कुंदा देखकर आश्चर्य में पड़ गए। उन्हें वहांँ पर एक तहखा़ना दिखाई दिया।
(iii) सेठ ने तहखा़ने में क्या देखा तथा उन्हें कैसा स्वर सुनाई दिया?
उत्तर. सेठ ने देखा की तहखा़ना हीरे जवाहरातों से भरा पड़ा था। तथा सेठ को भगवान के स्वर सुनाई दिए।
(iv) सेठ जी को किस चीज़ का पुरस्कार मिला था तथा क्यों? तर्क सहित उत्तर दीजिए?
उत्तर. सेठ जी को महायज्ञ का पुरस्कार मिला था क्योंकि उन्होंने स्वयं भूखा रहकर उस मरणासन्न कुत्ते को अपनी चारों रोटियांँ खिलाई थी अर्थात् निःस्वार्थ भाव से सेवा की थी। इसी महायज्ञ का पुरस्कार भगवान ने उन्हें स्वयं आ कर दिया था।