स्वर्ग बना सकते हैं Sahitya Sagar Workbook Answer Class 9 &10

Swarg Bana Sakte Hai

अभ्यास- माला

अवतरण-1

  • धर्मराज, यह भूमि किसी की नहीं, क्रीत है दासी।
  • है जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
  • सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण।
  • बाधा रहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।

प्रश्न 1. प्रस्तुत कविता मूल रूप से कहांँ से ली गई है ?कौन किसको किस समय में संबोधित कर रहा है?

उत्तर. प्रस्तुत कविता दिनकर जी की प्रसिद्ध रचना ‘कुरुक्षेत्र’ के मैदान से ली गई है। इसे भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को अंतिम क्षण में बोला था।

प्रश्न 2. कवि ने पृथ्वी तथा उसके निवासियों के विषय में क्या बताया है?

उत्तर. कवि पृथ्वी के विषय में कहा है कि इस धरती पर सबको समान अधिकार है। सभी मनुष्य अगर मिलजुल कर कार्य करें तो वे इस धरती को पल भर में स्वर्ग बना सकते हैं।

प्रश्न 3. कवि के अनुसार संसार में सबको क्या-क्या चाहिए तथा क्यों?

उत्तर. कवि के अनुसार संसार में सबको सूर्य का प्रकाश, मुक्त वायु तथा चंद्रमा की शीतलता चाहिए क्योंकि सभी का इस पर समान रूप से अधिकार है।

प्रश्न 4. ‘बाधारहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन’ प्रस्तुत पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर. प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ है- इस धरती पर सबका जीवन आशंकाओं से मुक्त होना चाहिए जिससे कि प्रत्येक प्राणी बिना रुके विकास कर सकें।

अवतरण-2.

  • लेकिन विघ्न अनेक अभी इस पथ पर पड़े हुए हैं ।
  • मानवता की राह रोक कर पर्वत खड़े हुए हैं ।
  • न्यायोचित सुख सुलभ नहीं जब तक मानव मानव को।
  • चैन कहांँ धरती तब तक शांति कहांँ इस भव को?

प्रश्न 1. मानवता की राह कितने रोकी है तथा किस प्रकार? पर्वत से कवि का संकेत किस ओर है?

उत्तर. मानवता की राह रास्ते में पर्वतों ने रोक रखी है और एक बड़ी बाधा के रूप में खड़े हुए हैं। जब मनुष्य उन्नति के लिए अग्रसर होता है तब यह बाधाएंँ पर्वत के समान उनके सामने आ जाती हैं।

प्रश्न 2. शब्दार्थ लिखिए- अड़े हुए, न्यायोचित, सुलभ, भव।

उत्तर. अडे हुए- पड़े हुए

न्यायोचित- न्याय के अनुसार

सुलभ-आसानी से

भव-संसार।

प्रश्न 3 न्यायोचित सुख से क्या तात्पर्य है। ये कब और कैसे प्राप्त हो सकते हैं? समझाकर लिखिए।

उत्तर. ‘न्यायोचित’ सुख से तात्पर्य ‘न्याय के अनुसार’ सही भाव उचित सुख सुविधाएं प्राप्त होना। जब संपूर्ण पृथ्वी पर सुख व शांति का भाव होगा तभी संसार में शांति होगी।

प्रश्न 4. इस संसार को चैन और शान्ति की प्राप्ति कब तक नहीं होगी तथा क्यों?

उत्तर. जब तक इस संसार के प्राणी आपस में मिलजुल के नहीं रहेंगे, तब तक इस संसार में सुख व शांति नहीं होगी।

अवतरण-3

  • “जब तक मनुज-मनुज का यह सुखभाग नहीं सम होगा।
  • शमित न होगा कोलाहल संघर्ष नहीं कम होगा।
  • उसे भूल वह फँसा परस्पर ही शंका में भय में।
  • लगा हुआ केवल अपने में और भोग संचय में।”

प्रश्न 1. यह कोलाहल तथा संघर्ष कब तक कम नहीं होगा तथा क्यों?

उत्तर. जब तक प्रत्येक मनुष्य को समान सुख नहीं प्राप्त होगा तब तक यह कोलाहल कम नही होगा। मनुष्य दूसरे से अधिक सुख प्राप्त कर रहा है। जिससे अधिक कोलाहल कम होगा।

प्रश्न 2. मनुष्य क्या भूलकर किसके जाल में फँसा हुआ है तथा क्यों?

उत्तर. आज का मनुष्य शांति तथा अपने कर्तव्य के भूलकर शंकाओं के घेरे में फँसकर रह गया है। क्योंकि वह सिर्फ धन संचय करने में लगा हुआ।

प्रश्न 3. आज मनुष्य क्या करने में लगा हुआ है तथा किस प्रकार ? समझाकर लिखिए।

उत्तर. आज मनुष्य सिर्फ सांसारिक वस्तुओं इकट्ठा करने में लगा हुआ है। जिससे वह अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर सके ।

प्रश्न 4. प्रस्तुत कविता के द्वारा कवि मनुष्यों को क्या सन्देश देना चाहता है?

उत्तर. प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि बने मिल जुलकर रहने तथा एक- दूसरों को अपने संसाधन बैठने की सीख थे। जिससे हम इस धरती को स्वर्ग बना सकें।

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